छितिज भाग -2 स्वयं प्रकाश
प्रश्न 1: सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?
उत्तर: चश्मेवाला एक देशभक्त नागरिक था। उसके हृदय में देश के वीर जवानों के प्रति सम्मान था। इसलिए लोग उसे कैप्टन कहते थे।
प्रश्न 2: हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा –
(क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?
(ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?
(ग) हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?
उत्तर:
(क) कैप्टन एक देश प्रेमी था, नेताजी जैसे देशभक्त के लिए उसके मन में सम्मान की भावना थी। उसके मर जाने के बाद हालदार साहब को लगा कि अब समाज में किसी के भी मन में नेताजी या देशभक्तों के प्रति सम्मान की भावना नहीं है। इसलिए वे मायूस हो गए।
(ख) मूर्ति पर लगे सरकंडे का चश्मा इस बात का प्रतीक है कि आज भी देश की आने वाली पीढ़ी के मन में देशभक्तों के लिए सम्मान की भावना है। भले ही उनके पास साधन न हो परन्तु फिर भी सच्चे हृदय से बना वह सरकंडे का चश्मा भी भावनात्मक दृष्टिकोण से मूल्यवान है।
(ग) उचित साधन न होते हुए भी किसी बच्चे ने अपनी क्षमता के अनुसार नेताजी को सरकंडे का चश्मा पहनाया। बड़े लोगों के मन में जिस देशभक्ति का अभाव है वही देशभक्ति सरकंडे के चश्मे के माध्यम से एक बच्चे के मन में देखकर हालदार साहब भावुक हो गए।
प्रश्न 3: आशय स्पष्ट कीजिए –
“बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।”
उत्तर: देशभक्त नेताओं ने देश को आज़ादी दिलाने के लिए अपनी हर खुशी को त्याग दिया तथा अपना सर्वस्व देश के प्रति समर्पित कर दिया। आज हमारा देश उन्हीं के कारण आज़ाद हुआ है। परन्तु यदि किसी के मन में ऐसे देशभक्तों के लिए सम्मान की भावना नहीं है, वे उनकी देशभक्ति पर हँसते हैं तो यह बड़े ही दु:ख की बात है। ऐसे लोग सिर्फ़ अपने बारे में सोचते हैं, इनके मन में स्वार्थ की भावना प्रबल है। लेखक ऐसे लोगों पर अपना क्षोभ व्यक्त करते हैं।
प्रश्न 4: पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: सड़क के चौराहे के किनारे एक पान की दुकान में एक पान वाला बैठा है। वह काला तथा मोटा है, उसके सिर पर गिने-चुने बाल ही बचे हैं। वह एक तरफ़ ग्राहक के लिए पान बना रहा है, वहीं दूसरी ओर उसका मुँह पान से भरा है। पान खाने के कारण उसके होंठ लाल तथा कहीं-कहीं काले पड़ गए हैं। उसने अपने कंधे पर एक कपड़ा रखा हुआ है जिससे रह-रहकर अपना चेहरा साफ़ करता है।
प्रश्न 5:”वो लँगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में। पागल है पागल!” कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया
लिखिए।
उत्तर: पानवाले ने कैप्टन को लँगड़ा तथा पागल कहा है। परन्तु कैप्टन में एक सच्चे देशभक्त के वे सभी गुण मौजूद हैं जो कि पानवाले में या समाज के अन्य किसी बुद्धिजीवी में नहीं है। वह भले ही अपाहिज है पर उसमें इतनी शक्ति है कि वह कभी भी नेताजी को बग़ैर चश्मे के नहीं रहने देता है। वह भले ही पागल है पर उसमें इतना विवेक तो है कि जिसने हमें आज़ादी दिलाने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया, उसका सम्मान करना चाहिए। अत: कैप्टन पानवाले से अधिक सक्रिय तथा विवेकशील है।
प्रश्न 6:निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं –
(क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।
(ख) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला – साहब! कैप्टन मर गया।
(ग) कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।
उत्तर:
(क) हालदार साहब की विशेषताएँ –
(1) हालदार साहब देशभक्त थे।
(2) नेताजी के रोज़ बदलते चश्मे को देखने के लिए वे उत्सुक थे।
(3) नेताजी को पहनाए गए चश्मे के माध्यम से वे कैप्टन की देशभक्ति देखकर खुश होते थे।
(4) कैप्टन के प्रति उनके मन में श्रद्धा थी।
(ख) पानवाले की विशेषताएँ –
(1) पानवाला भावुक था।
(2) कैप्टन के लिए उसके मन में स्नेह था।
(3) कहीं न कहीं वह भी कैप्टन की देशभक्ति पर मुग्ध था।
(4) कैप्टन के मर जाने से वह दु:खी था।
(ग) कैप्टन की विशेषताएँ –
(1) नेताजी के लिए उसके मन में सम्मान की भावना थी। इसलिए नेताजी को बग़ैर चश्मे के देखना उसे अच्छा नहीं लगता था।
(2) वह देशभक्त था।
(3) आर्थिक विपन्नता के कारण वह नेताजी को स्थाई रुप से चश्मा नहीं पहना पाता था।
प्रश्न 7: जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात् देखा नहीं था तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन-सा चित्र रहा
होगा, अपनी कल्पना से लिखिए।
उत्तर: जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को नहीं देखा था तब तक वो उसे एक फौज़ी समझते थे। उन्हें लगता था फौज़ में होने के कारण लोग उन्हें कैप्टन कहते हैं।
प्रश्न 8: कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन-सा हो गया है –
(क) इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?
(ख) आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों?
(ग) उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए
उत्तर:
(क)हम अपने आस-पास के चौराहों पर महान व्यक्तियों की मूर्ति देखते हैं। इस प्रकार की मूर्ति लगाने के कई कारण हो सकते हैं –
(1) लोगों को प्रेरणा देने के लिए।
(2) उन महान व्यक्तियों के त्याग तथा बलिदान को अमर रखने के उद्देश्य से।
(3) ऐसे लोगों का सम्मान करने के उद्देश्य से।
(ख) हम अपने इलाके के चौराहे पर महात्मा गाँधी की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे। क्योंकि उन्होंने हमारे देश को आज़ाद करवाने में मुख्य भूमिका निभाई। उन्होंने हिंसा को त्याग कर अहिंसा के पथ को प्रधानता दी।
(ग) मूर्ति के प्रति हमारे तथा समाज के अन्य लोगों के कुछ उत्तरदायित्व हैं। हमें मूर्ति का सम्मान करना चाहिए क्योंकि ये मूर्ति किसी सम्माननीय व्यक्ति का प्रतीक है। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी प्रकार से मूर्ति का अपमान न हो, मूर्ति की ज़रुरतों को पूरा करना हमारा कर्त्तव्य है।
प्रश्न 9: सीमा पर तैनात फ़ौजी ही देश-प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यो में किसी न किसी रूप में देश-प्रेम प्रकट करते हैं; जैसे – सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन-जगत से जुड़े ऐसे और कार्यों का उल्लेख कीजिए और उन पर अमल भी कीजिए।
उत्तर: हम भी देश के प्रति अपने कर्त्तव्यों को पूरा कर के अपनी देशभक्ति का परिचय दे सकते हैं; जैसे –
(1) ज़रुरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए।
(2) जितना हो सके हमें सरकार की सहायता करनी चाहिए।
(3) समाज में हो रहे अन्याय का विरोध करना चाहिए।
(4) हमें देश की प्रगति में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए।
प्रश्न 10: निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए –
कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दे दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।
उत्तर:
मानक हिंदी में रुपांतरित – अगर कोई ग्राहक आ गया और उसे चौड़े चौखट चाहिए, तो कैप्टन कहाँ से लाएगा? तो उसे मूर्तिवाला चौखट दे देता है और उसकी जगह दूसरा लगा देता है।
प्रश्न 11: ‘भई खूब! क्या आइडिया है।’ इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से
क्या लाभ होते हैं?
उत्तर: इस वाक्य में दो अलग-अलग भाषाओं को एक साथ मिलाकर प्रस्तुत किया गया है। साधारण बोलचाल की भाषा पर कई भाषाओं का प्रभाव रहता है। इस प्रकार के शब्दों का उच्चारण इसलिए किया जाता है। कि बहुत प्रचलित शब्द अक्सर लोगों को जल्दी समझ में आ जाते हैं। इस प्रकार के शब्दों के प्रयोग से वाक्य अधिक प्रभावशाली हो जाते हैं, दूसरी भाषा के कुछ शब्दों की जानकारी भी मिलती है।
प्रश्न 12: निम्नलिखित वाक्यों से निपात छाँटिए और उनसे नए वाक्य बनाइए –
(क) नगरपालिका थी तो कुछ न कुछ करती भी रहती थी।
(ख) किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा।
(ग) यानी चश्मा तो था लेकिन संगमरमर का नहीं था।
(घ) हालदार साहब अब भी नहीं समझ पाए।
(ङ) दो साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुज़रते रहे।
उत्तर:
(क) कुछ न कुछ – तुम हमेशा कुछ न कुछ मांगते ही रहते हो।
(ख) को ही – राकेश को ही हमेशा अच्छे अंक मिलते हैं।
(ग) तो था – रास्ते में कोई सवारी तो थी नहीं।
(घ) अब भी – तुम अब भी बाज़ार नहीं गए।
(ङ) में – इस समय में तुम्हें अधिक मेहनत करनी चाहिए।
प्रश्न 13: निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए –
(क) वह अपनी छोटी-सी दुकान में उपलब्ध् गिने-चुने फ्रेमों में से नेताजी की मूर्ति पर फिट कर देता है।
(ख) पानवाला नया पान खा रहा था।
(ग) पानवाले ने साफ़ बता दिया था।
(घ) ड्राइवर ने ज़ोर से ब्रेक मारे।
(ङ) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।
(च) हालदार साहब ने चश्मेवाले की देशभक्ति का सम्मान किया।
उत्तर: (क) उसके द्वारा अपनी छोटी सी दुकान में उपलब्ध् गिने-चुने फ्रेमों में से नेताजी की मूर्ति पर फिट कर दिया जाता है।
(ख) पानवाले द्वारा नया पान खाया जा रहा था।
(ग) पानवाले द्वारा साफ़ बता दिया गया।
(घ) ड्राइवर द्वारा ज़ोर से ब्रेक मारे गए।
(ङ) नेताजी द्वारा देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया गया।
(य) हालदार साहब द्वारा चश्मे वाले की देशभक्ति का सम्मान किया गया।
प्रश्न 14:नीचे लिखे वाक्यों को भाववाच्य में बदलिए –
जैसे – अब चलते हैं। – अब चला जाए।
(क) माँ बैठ नहीं सकती।
(ख) मैं देख नहीं सकती।
(ग) चलो, अब सोते हैं।
(घ) माँ रो भी नहीं सकती।
उत्तर:
(क) माँ से बैठा नहीं जाता।
(ख) मुझसे देखा नहीं जाता।
(ग) चलो, अब सोया जाए।
(घ) माँ से रोया भ नहीं जाता।